GURUKUL

Vedic Sanskriti

विष्णु स्वरुप भगवन वेदव्यसजी के हातों द्वारा समस्त वेदों का फिरसे संग्रह करने की मेहनत गुरु वेदव्यास जी ने द्वापरकाल के समय महाभारत महाकाव्य लिखने की पहल स्वयंस की। उनके परिश्रम की वजह से चारों वेद सरांक्षित हों पाए।

वेद चार प्रकार के होते हैँ :

रिगवेद, अथर्ववेद, सामवेद और यजुर्वेद।

वैदिक संस्कृति न सिर्फ भगवान के ही विषय में बताती हैँ और वैज्ञानिक स्टडीज को भी अपने में सम्मिलित करती हैँ।

तर्क और वितर्क करने की कला ही एक ऐसी कला रहती हैँ जिसको इस्तेमाल करके जीव अपने हर जन्म को और सार्थक बना सकता हैँ।

अब वेद सिर्फ चार भागों में ही क्यों बटे हुए हैँ इसके पीछे एक निश्चित कारण हैँ क्यूंकि वैदिक संस्कृति हमको जो ज्ञान सीखने और समझने और उपयोग करने कि विधि में में सहायता देती हैँ वो ज्ञान हमारे पूर्वज ऋषि-मुनियों से अपने परिश्रम और ज्ञान को ग्रहण करने की कला जो व्यक्ति-विशेष पे निर्भर करती हैँ और हर जीव अपने-अपने तरीके से ज्ञान को अपने हिर्दय में आत्मसात करना जानता हैँ और अपने मस्तिष्क को उपयोग करके उस ज्ञान को और सार्थक करने के लिए उस ज्ञान में और जानकारी सम्मिलित करता हैँ बिना उसके स्त्रोत को बदलते हुए क्यूंकि ज्ञान-विज्ञान बिना स्त्रोत के अधूरा माना जाता हैँ, गुरुकुल शिक्षा इस ऒर इशारा ही करती हैँ कि सच और झूठ में सही अंतर करना बहुत मुश्किल और कठिन काम होता हैँ और उससे भी ज़्यादा मुश्किल दूसरों को ज्ञान समझाना।

वैदिक ज्ञान को समझना और अपने जीवन में उतारना हर जीव के लिए शत-प्रतिशत उपयोगी होता हैँ और कोई विपरीत असर नहीं होगा किसी भी समय में।

हम सबको सबका भला करते रहने के लिए इस ज्ञान को समझना अति आवश्यक हैँ और वेद-पुराण-उपनिषद-मनुस्मृति इतियादी इसकी शुरुवाती ज्ञान के स्त्रोत माने जा सजते हैँ और मेरी कोशिश भी यही ही रहेगी कि मैं आप सबको यह ज्ञान अपने द्वारा देता रहूँ।

वैदिक संस्कृति भारत देश की एकमात्र प्राचीन जीवन जीने की कला सिखाती हैँ और जो इस संस्कृति पे विस्वास करते हैँ उनको सही माइनो में सही और गलत के बीच का भेद स्पस्ट रूप में आत्मसात हों जाता हैँ। अब सही और गलत की पहचान कैसे की जाया? ये प्रश्न बहुत ही ज़रूरी हैँ हर किंसी के लिए और इसके एक उत्तर भी हों सकता हैँ और अनेक उत्तर भी हों सकते हैँ।

अपने आपको सही तरह से पहचानने की कला और अपने आपको को पूर्ण रूप से समझने की कला आपको अपने आप में खुद से ही विकसित करनी होती हैँ और जब आप ये कार्य निरंतर अभ्यास से हर घड़ी करने लगेंगे उसके बाद आप स्वयं में बड़ा परिवर्तन आना महसूस करने लग जाएंगे और वैदिक ज्ञान आपको इसमें हर संभव मदद करेगा जो आपको परमात्मा से जुड़ने की कला सिखाएगा।

इस संस्कृति का हिस्सा बनने के लिए आपको स्वयं को एक स्थिर बुद्धिवाला और एक शांत चित्त वाला छात्र बनना होगा क्यूंकि आपको जब सत्य का ज्ञान धीरे धीरे होने लगेगा फिर आपको स्वयं ही अपने भीतर बदलाव देखने को मिलने लगेंगे।

Gurukul Shiksha Pattern

यह पद्धति प्राचीन भारत काल से चले आ रही हैँ जिस में हिन्दू मैथोलॉजी के अनुसार छात्रों को अनुसरण करना सिखाया जाता हैँ।

हुम लोग इस पद्धति को लगभग भुला चुके हैँ मगर मैं अपनी वेबसाइट essenceoftoday.org के माध्यम से पूरी शिक्षा का विवरण यहाँ प्रस्तुत करूंगा।

गुरुकुल शिक्षा कि ज़रूरत इस समय की मांग हैँ और मुझे ऐसा लगता हैँ अपनी वेबसाइट के माध्यम से मैं पूरी दुनिया को गुरुकुल शिक्षापडुइटी से अवगत कराऊंगा।

गुरुकुल शिक्षा हासिल करने के लिए शिष्य को कुछ ज़रूरी बातें जाननी और माननी बहुत ज़रूरी होती हैं जो नीचे निम्लिखित करी हैँ मैंने :

  1. अपने गुरु को अपने माता-पिता की तरह पूर्ण सम्मान देना और उनके आदेश को सुनना और उनकी इच्छा को समझना।
  2. अपने गुरुकुल को हमेशा साफ रखने का जतन करते रहना।
  3. गुरु के मुख से सुने हुए शब्द एवं वाक्य बेहद अनमोल हैँ उसको अपनी बुद्धि से ग्रहण करने का प्रयत्न करते रहना।
  4. अपने गुरुमित्रों को अपना भाई-बहन मानना।

क्या आपसब मेरे इस वेबपेज को फॉलो करके मेरे इस मुहिम का हिस्सा बनना चाहेंगे?

गुरु भगवान की तरह पूजनिये होते हैँ और उनके पढ़ाने की विधि को आत्मसात करना ईश्वर की पूजा-प्रार्थना करने के सामान होता हैँ और गुरु के लिए उनके सारे शिष्य समान होते हैँ।

Sanatan & Puratan

इस वेबपेज में मैं सनातन धर्म और उसकी पुरातन होने की सारी व्याख्या करने में ज़ोर दूंगा और आशा करूंगा के मेरे इस प्रयास से मेरे भाइयों-बहनो-दोस्तों का सही माईनो में मार्गदर्शन हों सके।

इसमें शब्दार्थ भी होंगे और पर्यायवाची शब्दों का प्रयोग भी होगा अपनी बात समझाने के लिए।

कृपया करके मेरी वेबसाइट essenceoftoday.org पे विजिट करें और इस वेबसाइट के गुरुकुल वेबपेज पे विजिट करें।

सनातन धर्म एक ऐसा विश्वास हैँ जिसके द्वारा प्राणी खुदको पहचान सकता हैँ और जिसने खुद को पहचान लिया वो सही माईनो में भद्र पुरुष-एवं-स्त्री कहलाने का हक़ रखता हैँ और क्यूंकि ये एक बहुत बड़ा संदर्श हैँ इसलिए इसके सन्दर्भ में मुझे बहुत कुछ कहना होगा जो मैं आशा करता हूँ आपके मर्म को छुएगा।

हमारी भारतीय संस्कृति में सज्जनता और दुर्जनता के विषय में बहुत सारे उल्लेख हैँ और हर प्रकार की परिस्तिथि के अनुसार सही और गलत आचरण में अंतर करना सिखाया गया हैँ और अगर आपको खुद ही अपने बारे में सही-सही ज्ञात हों जाए फिर आपके जन्मो जन्मो के पाप स्वतः पुण्य में बदल सकते हैँ।

प्राणी-जीव को मानुष्यता पाने के लिए अपने जीवन में संतुलन लाना परम आवश्यक हैँ और संतुलन कठोर परिश्रम से मिलता या आता हैँ। खुद के अंदर सैन्यम् रखना इतना आसान नहीं रहता हैँ मगर इस पर निरंतर अभियास करने से आप अपने अंदर परम संतोष का अनुभव कर पाएंगे।

दोस्तों, सनातन एक धर्म से ज़्यादा एक विश्वास हैँ जो न सिर्फ जीने की कला सिखाता हैँ अपितु आपको खुदके व्यक्तित्व में एक सरात्मक बदलाव लाने में मदद करता हैँ। ये सत्य हैँ की हमलोग एक से अधिक देवी-देवताओ की पूजा-प्रार्थना करते हैँ मगर मैं आपको इस विश्लेषण करके डिटेल में बताऊंगा कि ये सब सत्य हैँ और ऐसा क्यों हैँ क्या कारण हैँ इसके पीछे ये भी बतलाऊंगा।

क्या आप सही और गलत में अंतर कर पाएंगे या अंतर करना सीखना चाहेंगे?

 

Gyaan & Vigyaan

नमस्ते!

इस वेबपेज में भारत के विभिन्न ज्ञान के स्त्रोत्र और विज्ञान के लिए हमारे सनातन-धर्म में कितने प्रकार के स्त्रोत्र हैँ, वो सब मैं यहाँ प्रस्तुत करूंगा और आप सबको यह बताऊँगा के हमारे भारत देश में प्राचीन काल में कितने ज्ञानीजन हुए हैँ जिनके बारे में जानकार हमारा समाज और समूचा विश्व बहुत कुछ सीख सकता हैँ।

अपनी बुद्धि, तर्क करते रहने की कला, और वैचारिकता का सही तरह से उपयोन करने की कला हमारे भारत में हमारे गुरुजन और पूर्वजजनों का अनुसरण करने से ही मिलता हैँ और यहाँ पर पॉइंट्स के द्वारा मैं डिटेल में लिखूंगा।

आपको अपने-आपके अंदर सॉफ्ट-स्किल्स को डेवलप करना बहुत होता हैँ और इसका फायदा आपको यह मिलता हैँ कि आप अपने चित को शांत रख सकते हैंनौर आपका दिमाग फिर आपके साथ-साथ चलता रहेगा बिना थके और बिना रुके और आपको परमज्ञान के पथ में चलते रहने के लिए प्रेरित भी करता रहेगा।

ज्ञान और विज्ञान का क्षेत्र बहुत बड़ा हैँ और आपको खुदसे ही इस क्षेत्र में अपने लक्ष्य को निर्धारित करते रहने का अभ्यस्त रहना होगा।

सूक्ष्म से सूक्ष्म जानकारी इस पूरे संसार की, इस पूरे ब्रह्माड की, इस पूरे जगत की प्राप्त करने हेतु आपको अपनी यात्रा किसी भी समय शुरू करनी होंगी और उस यात्रा के आरम्भ होते ही आप अपनेको अच्छे से समझने की शुरुवात कर रहें होंगे आर आपके मार्ग का काँटा सिर्फ आपकी बृहमित बुद्धि ही हैँ, इस सत्य का अवलोकन आप करना शुरू कर देंगे।

 

 

What To Do

यहाँ पर आपके लिए जीवन में क्या-क्या करने योग्य परिश्रम हैँ उनका विश्लेषण मैं इस वेबपेज मैं करूंगा और ये आस लगाता हूँ के इनको पढ़कर आप सभी अपने जीवन में सही और गलत का फर्क करने में सक्षम हों जाओगे।

 

What Not To Do

इस वेबपेज में आपको मानव धर्म, मानव कर्म और मानुष जीवन की सत्यता और आधार-शिला के बारे में विस्तार से बताऊंगा और जो आचार-विचार अकर्णमन्ये हैँ वो यहाँ पर निम्लिखित करूंगा मैं।